इंद्रधनुष कैसे बनता है

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इन्द्रधनुष एक ऐसा कुदरती कारनामा है जिसके दर्शन कभी ना कभी हर किसी ने किये ही होंगे. यह बारिश के बाद प्रकृति का एक अनूठा नजारा होता है. यहाँ पर लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठ सकता है कि आखिर यह इन्द्रधनुष बनता कैसे है और क्यों बनता है. कुछ जगह इसे मेघधनुष के नाम से भी जाना जाता है.इन्द्रधनुष; चाप (arc) के आकार का होता है, जो कि सात रंगों में दिखाई देता है.  इस लेख में हम आपको इसके बनने के वैज्ञानिक कारणों के बारे में बताएँगे.
इन्द्रधनुष (Rainbow) यह एक बहुत ही सुंदर प्रकाशीय विक्षेपण की धटना है. इन्द्रधनुष कैसे बनता है इस बात की ब्याख्या करने के से पहले उसमें इस्तेमाल होने वाली वैज्ञानिक तकनीकी के बारे में जान लेते हैं.

प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of light) किसे कहते हैं:
सूर्य के प्रकाश की कोई किरण जब प्रिज्म में से गुजरती है तो वो सात रंगों में विभक्त्त हो जाती है. इसे ही प्रकाश का विक्षेपण कहते हैं. इन्द्रधनुष; प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन और पानी की बूंदों में प्रकाश के विक्षेपण के कारण बनता है. इन्द्रधनुष में सात रंगों का स्पेक्ट्रम चाप (arc) के आकार में  हमें आकाश में दिखाई पड़ता है.
इन्द्रधनुष के रंगो का क्रम इस प्रकार होता है. लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी, बैंगनी. ज्यादातर लाल सबसे बाहर और बैंगनी सबसे अंदर होता है.                         
इसका क्रम है; बैनीआहपीनाला
1. बैंगनी
2. नीला
3. आसमानी
4. हरा
5. पीला
6. नारंगी,
7. लाल
7 colours rainbow
अंग्रेजी में इन्हें इस क्रम में रखते हैं;
VIBGYOR =
1. Violet
2. Indigo
3. Blue
4. Green
5. Yellow
6. Orange
7. Red
कैसे और कहाँ दिखयी देता है इंद्रधनुष ?
बारिश की रिमझिम बूंदों के बीच अगर धूप भी हो तो सूर्य की तरफ मुंह कर लीजिए, कहीं न कहीं आपको इंद्रधनुष दिखाई पड़ेगा. आप इंद्रधनुष तब देख पाते है जब सूरज आपके पीछे होता है और वर्षा आगे. इसके अलावा विशाल झरनों के पास भी आम तौर पर हमेशा दिन के वक्त इंद्रधनुष दिखाई पड़ता है. इंद्रधनुष तब और साफ दिखायी देता है जब आसमान में काले बादल छाये हो. अक्सर यह देखा जाता है कि इन्द्रधनुष सुबह के समय पश्चिम दिशा मे और शाम के समय पूर्व दिशा में दिखाई पड़ता है.
दोहरा इंद्रधनुष
कभी कभार एक नहीं, बल्कि दो इंद्रधनुष दिखाई पड़ते हैं. एक ही जगह मौजूद बूंदों के बार-बार धूप के संपर्क में आने पर दो इंद्रधनुष दिखाई पड़ते हैं. पहले इंद्रधनुष से निकली रंगीन रोशनी जैसे ही सफेद में बदलती है, वैसे ही उसका संपर्क दूसरी बूंदों से हो जाता है और फिर प्रकाश अलग अलग रंगों में बिखर जाता है, लेकिन उसके रंग उल्टे क्रम में होते हैं.
उम्मीद है कि ऊपर दिए गए विस्तार से आपको पता चल गया होगा कि किस कारण से इन्द्रधनुष आकाश में बनता है और इसके बनने के लिए किस तरह के पर्यावरण की जरुरत होती है.

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