आज सबसे हैरान करने वाली बात यह है. कि जिन अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाकर भारतीयों पर तरह-तरह के जुल्म किए थे. और वही भारत के आजाद लोग उनकी भाषा अंग्रेजी को पढ़ना लिखना अपनी शान समझते हैं. जितना दिखावा हम भारतीय करते हैं. उतना शायद ही अन्य किसी देश के नागरिक करते होंगे. तभी तो यहां कुछ लोग भारतीय भाषा और संस्कृति को भूल गए हैं. और विदेशी भाषा और संस्कृति के मकड़जाल में उलझते जा रहे हैं.
एक डोर में सबको जो है बांधती
वह है हिंदी
हर भाषा को सगी बहन जो मानती
वह हिंदी है
माना कि विश्व प्रतियोगिताओं के लिए अंग्रेजी का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है. लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं होता, कि हम अपनी राजभाषा का सम्मान ना करें. और उसे भूल जाएं. हमारी हिंदी एकता की डोर को मजबूत करती है. आज पूरा भारत धीरे धीरे अंग्रेजी के रंग में रंगता जा रहा है.
हिंदी हमारी आन है
हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ विराम है
हम दूसरों की भाषा को सरल मानते हैं और अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी को कठिन ? कोई भी भाषा कठिन नहीं होती बस जरूरत होती है उसे मन-मस्तिष्क में उतारने की. हम प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रुप में मनाते हैं. आजकल अंग्रेजी बाजार के चलते दुनिया भर में हिंदी जानने और बोलने वाले लोगों को बाजार में अनपढ़ या एक गवांर के रूप में देखा जाता है. या फिर हम यह भी कह सकते हैं. कि हिंदी बोलने वाले लोगों को एक तुच्छ नजरिए से देखा जाता है. यह कतई सही नहीं है.
हिंदी हमारी भावना है
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज है
शर्मनाक बात तो यह है. कि हम अपनी हिंदी भाषा को वह सम्मान नहीं दे पा रहे हैं. जो भारत और देश की भाषा के प्रति हर भारतवासियों के नजर में होना चाहिए. आज हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाते हैं. इन स्कूलों में विदेशी भाषाओं पर बहुत ध्यान दिया जाता है. लेकिन हिंदी की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता. अधिकतर लोगों को यही लगता है कि रोजगार के लिए इसमें कोई खास मौके नहीं मिलते.