बात आंखो की सुनो दिल पर
उतर जाती है जुंबा का क्या है कभी भी मुकर जाती है
जो कह सको तो कहो चाहे
जरिया जो भी हो, जिंदगी का क्या है गुजरना
है वो गुजर जाती है
सब फैसले होते नहीं
सिक्के उछाल के , ये दिल के मामले हैं जरा देखभाल के
और मोबाइलों के दौर के
आशिक को क्या पता रखते थे कैसे दिल को खत में निकाल के
आती रही जाती रही, एक दिन
वो नहीं आई हम रविवार समझ बैठे
अदब के नाम पर महफिल पर
चर्बी बेंचने वालों
अभी वह लोग जिंदा है जो घी
पहचान लेते हैं
तू वेवफा है तो ले एक
दूसरी खबर सुन ले
कि इंतजार मेंरा कोई और
करता है
और हसीन लोगों से मिलने
पर ऐतराज न कर
यह जुर्म भी वह है जो
शादी सुदा भी करता है
मुझसे किसी ने पूंछा कि
कुछ लोग आम को चूस के खाते है तो कुछ ज्यादा पढे –लिखे लोग काट-कर खाते हैं
तो बगल में खडे मेंरे
दोस्त ने कहा कि जो लोग गांव के होते है वो लोग चूस के खाते है
तो मैंने कहा जिन्होने
मां का दूध पिया है वो चूस कर खाते है, जिन्होने डिब्बे का पिया है वह चूस कर खाते
है
कौन सी बात है जो कहा कैसे
कही जाती है, बस यह सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है
किसी को घर मिला हिस्से
में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था
, कि मेंरे हिस्से में मां आई