इंडियन एयरलाइन्स के आईसी-814 प्लेन के हाईजैक की पूरी कहानी Indian Airlines IC 814 Plane Hijack Story कंधार हाईजैक की कहानी

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इंडियन एयरलाइन्स के आईसी-814 प्लेन के हाईजैक की पूरी कहानी. Indian Airlines's IC-814 Plane Hijack Story 

दिसंबर 1999, यह वही वक्त था जब इंडियन एयरलाइन्स का एक प्लेन नेपाल से हाईजैक कर लिया गया था। आतंकियों ने इस प्लेन में बैठे 178 यात्रियों के बदले 3 आतंकियों की रिहाई मांगी थी। जरा सोचिये क्या गुजरी होगी उन यात्रियों पर जो लगातार 7 दिनों तक खूंखार आतंकियों के बीच थे। आंतकियों ने इस प्लेन को एक या दो देशों में नहीं बल्कि पांच देशों घुमाया था। फिर भारत ने यह शर्त मानते हुए जेल में बंद आतंकियों को छोडना पडा था।

इंडियन एयरलाइन्स के आईसी-814 प्लेन के हाईजैक की पूरी कहानी Indian Airlines's IC-814 Plane Hijack Story

24 दिसंबर, 1999, पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइन्स के आईसी-814 प्लेन को काठमांडू से हाईजैक कर लिया था। हाइजैक करने के बाद तेल भरवाने के लिए सबसे पहले लाहौर एयरपोर्ट का रूख किया, लेकिन लाहौर अथॉरिटी ने प्लेन को लैडिंग के लिए परमिशन नहीं दी।
इसके बाद प्लेन को अमृतसर में उतारा गया, लेकिन कुछ दिक्कतों के चलते तेल नहीं भरा जा सका। फिर 25 मिनट के इंतजार के बाद हाईजैकर्स ने एक पैसेंजर की हत्या कर दी और दोबारा लाहौर की ओर चले गए। फिर भारत ने पाकिस्तान अथॉरिटी को एयरक्राफ्ट की लैंडिग के लिए मंजूरी देने के लिए कहा। और फिर लाहौर एयरपोर्ट में तेल डाला गया। फिर यहां से प्लेन दुबई पहुंचा।
दुबई पहुंचने के बाद आंतकियों को दवा और खाने की मांग की। इसके बदले आंतकिंयों ने 25 यात्रियों को रिहा कर दिया। लेकिन इसके बाद आंतकियों के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। इस पूरी कवायत में आंतकियों के सात एक या दो नहीं बल्कि सैकडों जाने फंसी थी।
25 दिसंबर 1999 की सुबह प्लेन ने दुबई से अफगानिस्तान के लिए उड़ान भरी और कंधार में लैंडिग की। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने पैसेंजर्स की रिहाई के लिए हाईजैकर्स के साथ बातचीत शुरू की। हाईजैकर्स ने मौलाना मसूद अजहर के अलावा जेल में बंद 35 आतंकियों को छोड़ने और 20 करोड़ डॉलर के फिरौती की मांग की। फिर न जाने बाद में हाईजैकर्स ने फिरौती की मांग छोड़ दी और तीन आतंकियों की रिहाई का सौदा तय किया।

उस समय की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार पर जबर्दस्त दबाव था, क्योंकि लोग तब सडकों में उतर आए थे। फिर वाजपेयी सरकार ने पैसेंजरों की जान बचाने के लिए तीनों आतंकियों को छोड़ने का फैसला किया। भारत की जेलों में बंद आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद और अहमद उमर सईद को कंधार ले जाया गया। फिर 7 दिनों के बाद 31 दिसंबर को सभी पैसेंजर्स की रिहाई हुई, जिन्हें स्पेशल प्लेन से वापस लाया गया।

रिहाई के बाद अजहरतालिबान की मदद से अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा। उसने आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का निर्माण किया। 2001 में पार्लियामेंट में हुए आतंकी हमले में अजहर प्रमुख आरोपी था। खैर भारत की खुफिया एजेंसियां मानना हैं कि पाकिस्तानी मिलिट्री अजहर जैसे आतंकियों को कोल्ड स्टोरेज में रखती हैं, जो उन्हें भारत के खिलाफ लड़ाई में मदद करते हैं।
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