भारत के पहले लोकपाल बने जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष ने शनिवार
को शपथ ली है। पिनाकी घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई है। शपथ ग्रहण
के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति एम
वैंकेया नायडू और भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी मौजूद रहे।
आपको बता दें कि जस्टिस पीसी घोष को मानवाधिकार कानूनों पर
उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। जस्टिस घोष उच्चतम न्यायालय
के जज रह चुके हैं। वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं। घोष राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी हैं।
वहीं अगर घोष के द्वारा सुनाए गए कुछ अहम फैसलों की बात
करें तो अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में जस्टिस रोहिंग्टन के साथ पीठ
में रहते हुए निचली अदालत को भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और
बाकी नेताओं पर आपराधिक साजिश की धारा के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।
जस्टिस घोष, चीफ जस्टिस एच एल
दत्तू और जस्टिस कलीफुल्ला के साथ उस पीठ के भी सदस्य थे, जिसने तय किया था
कि सीबीआई की ओर से दर्ज मुकदमे में दोषी ठहराए गए राजीव गांधी के दोषियों की सजा
माफी का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है।
जस्टिस राधाकृष्णन के साथ पीठ में रहते हुए उन्होंने
जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ जैसी परंपराओं को पशुओं के प्रति क्रूरता मानते हुए
उन पर रोक लगाई।