महिला डाकू नीलम गुप्ता की कहानी, Daku Neelam Gupta

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          महिला डाकू नीलम गुप्ता की कहानी

कई सालों पहले उसका नाम सुनकर बीहड़ कांपता था। ये खूबसूरती में बॉलीवुड की हीरोइनों को फेल करती थी। इटावा-जालौन सहित कई जिलों के गांवों में उसकी बादशाहत कायम थी। डकैतों के झुंड में उसे बीहड़ की महारानी की उपाधि मिली थी। एक आवाज पर सैकड़ों गांव के लोग हुक्म पर अमल करने के लिए तैयार रहते थे वह सबसे खूंखार खतरनाक डकैत की पत्नी थी जिसके एक इशारे पर सभी डकैत जान देने के लिए तैयार रहते थे। 

जी हां हम बात कर रहे हैं दस्यु सुंदरी नीलम गुप्ता की। आज हम आपको नीलम गुप्ता की पूरी कहानी बताएंगे आपको बताएंगे कि कैसे एक किसान की बेटी का एक डाकू अपहरण करता है फिर उसके साथ शादी करता है आपको ये भी बताएंगे कि कैसे उसी छोटी सी लड़की ने बड़ी होकर चंबल में अपनी बादशाहत कायम की। नमस्ते मेरा नाम अंकित त्रिपाठी है.

नीलम गुप्ता डाकू 


निर्भय सिंह गुर्जर का खौफ

डाकुओं के इतिहास में झांके तो एक नाम है जो कोई नहीं भूल सकता! उस डाकू का नाम है निर्भय सिंह गुज्जर! वही डाकू जिसने राजस्थान, मप्र, उत्तप्रदेश को अपने खौफ से हलाकान कर रखा था. वह किसी से नहीं डरता था, उसे मौत का भी डर नहीं था। आपने अभी तक कई डकैतों की कहानी सुनी होगी मगर यह ऐसा डकैत था जिसका अंदाज सबसे अलग था. उसके गैंग में लड़कियों की भरमार रहती थीं, 

एक से बढ़कर एक खूबसूरत लड़कियां उसके आगे पीछे घूमती थी। जिन्हें दस्यु सुंदरी कहा जाता है. वो मीडिया को बुलाकर इंटरव्यू देता था. करीब 200 गांवों में उसने अपनी अलग ही सरकार बना रखी थी. वो तय करता था कि इन इलाकों में कौन चुनाव लड़ेगा, कौन नहीं. जो विद्रोह करता था, उसे सीधे मार दिया जाता था.

नीलम गुप्ता ने बताई पूरी कहानी

नीलम का जन्म औरैया जिले के सरैयां गांव में हुआ था। उसके परिवार में तीन बहनें और दो भाई थे। उसने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अपनी पूरी कहानी सुनाई है। नीलम बताती है कि साल 2001 में मैं क्लास 6 की स्टूडेंट थी और उस समय 13 साल की थी। एक दिन स्कूल जाते समय एक कार मेरे पास आकर रुकी और उसमें से एक आदमी ने मुझे कार के पास बुलाया। मैं पास गई तो उसने मुझसे मंदिर का रास्ता पूछा। मैं जैसे ही रास्ता दिखाने के लिए दूसरी तरफ मुड़ी उसने मेरे मुंह को रुमाल से दबा दिया। इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं। 

''जब मुझे होश आया तो मैं जंगल में थी। मेरे आसपास बंदूक लिए कई लोग खड़े थे और शराब पी रहे थे। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो गया। थोड़ी देर बाद वहां निर्भय सिंह गुज्जर आया। मैं किसी को नहीं पहचान रही थी। बस मैं खूब जोर से रो रही थी। उसने आते ही मुझे डांटकर चुप होने के लिए कहा। मैं डर कर चुप हो गई। उसके बाद मुझे निर्भय के हवाले कर सभी डाकू वहां से चले गए। 

नीलम गुप्ता

नीलम ने की जंगल से भागने की कोशिश

नीलम ने आगे बताया कि ''उसने मेरे साथ बेहद क्रूरता वाला व्यवहार किया। कई बार जबरदस्ती की। मैंने भागने की भी कोशि‍श की, लेकिन उसके आदमी पूरे जंगल में फैले रहते थे। धीरे-धीरे तीन महीने बीत गए। इस दौरान दूसरे डाकुओं की भी मेरी तरफ बुरी नजर रहती थी और इसी से बचने के लिए निर्भय ने गैंग के कुछ लोगों के सामने मुझसे जबरन शादी कर ली। उस दिन से गैंग में मेरा वजूद बड़ा हो गया था। मैं गैंग के सरगना की पत्नी बन चुकी थी। सभी लोग मेरा आदर करने लगे थे। मैं ये सब नियति का फैसला मान चुकी थी। 

निर्भय के बारे में धीरे-धीरे गैंग के लोगों से कई बातें पता चल रही थीं। मैं बस एक बात की खोज में रहती थी कि जंगल से हाइवे तक कौन-सा रास्ता जाता है।'' एक दिन मैंने वहां से भागने की कोशिश की। निर्भय अपने कुछ साथियों के साथ कहीं गया हुआ था। मुझे जंगल में कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर भी मैं एक दिशा पकड़ आगे बढ़ती जा रही थी। चलते-चलते काफी देर हो गई, लेकिन कहीं बस्ती या कोई सड़क नहीं मिली।'' धीरे धीरे समय बढ़ता जा रहा था। 


तभी गैंग के अड्डे में निर्भय भी वापस आ चुका था। जब उसने मुझे नहीं देखा तो गैंग के सदस्यों को मुझे ढूंढने के लिए भेज दिया। और मैं कुछ देर बाद पकड़ी गई।'' उस दिन निर्भय बहुत गुस्से में था। उसने मेरे साथ बहुत क्रूरता की। मुझे मारा भी। सजा के तौर पर पहरे में मुझे रखा जाने लगा। 

रोजाना नई औरतों के साथ संबंध बनाता था निर्भय

निर्भय सिंह बेहद अय्याश था। उसे अपनी हवस पूरी करने के लिए आए दिन नई-नई औरतों की तलाश रहती थी। जिस समय उसने मेरी जिंदगी बर्बाद की, मैं उसकी बेटी की उम्र की थी। उसने मेरे साथ इतना बुरा सलूक किया, जो मैं कभी भूल नहीं सकती हूं। धीरे-धीरे गैंग के लोगों से उसके बारे में पता चला कि मुझसे पहले भी उसकी हवस पूरी करने के लिए कई औरतें लाई जा चुकी थीं। 

अपनी बहू सरला जाटव के साथ संबंध बनाता था निर्भय

नीलम ने आगे बताया कि पार्वती, मुन्नी पांडेय का नाम भी इन्हीं में से था। लोग तो यहां तक कहते हैं कि उसने अपने बेटे श्याम जाटव की पत्नी सरला को भी नहीं छोड़ा था।" उसके साथ भी वह अवैध संबंध बनाता था। निर्भय कभी डकैती या किसी अपराध के दौरान गैंग के नए लोगों पर भरोसा नहीं करता था। वो मुझे कभी इन जगहों पर नहीं ले जाता था। वो मुझे हमेशा शक की निगाह से देखता था क्योंकि मै कई बार भागने की कोशिश कर चुकी थी।"

अब गैंग की कमान संभालने लगी नीलम गुप्ता

धीरे धीरे समय गुजरता जाता है और फिर नीलम को भी चंबल की हवा रास आ जाती है इसी दौरान निर्भय भी उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाता है। और ये सब कुछ उन दोनों की राजी खुशी से हो रहा था। फिर निर्भय गैंग के साथ वह लगातार अपराधों में संलिप्त होती है अब उसका भी दिमाग लूट हत्या अपहरण जैसी वारदातों पर तेजी से काम करता है। इतना ही नहीं कई बार वह निर्भय की अनुपस्थिती में गैंग की कमान भी संभालती थी। सभी डाकू उसके इशारे पर चलने लगे थे। वह डाकुओं की महारानी कहलाती थी। लेकिन वह निर्भय की लड़की बाजी वाली हरकत से परेशान रहती थी। और इसी को लेकर एक दिन उसका विवाद निर्भय से हो गया। 



अब निर्भय से परेशान रहती थी नीलम


तभी से वह उस गैंग से उखड़ी उखड़ी रहती थी और उसके दिमाग में बस एक ही बात गूंज रही थी कि कैसे वह इस दलदल से बाहर कैसे निकले तभी उसकी बातचीत एक ऐसे आदमी से हुई जो निर्भय गुर्जर का खास व्यक्ति था। और उन दोनों ने वहां से भागने का प्लान बना लिया।  आगे इंटरव्यू में नीलम बताती है कि मैं जंगल में बहुत दुखी रहती थी। 

श्याम जाटव के साथ जंगल से भागी नीलम 

निर्भय का गोद लिया बेटा कहा जाने वाला श्याम जाटव भी उसके अत्याचार से काफी परेशान था। एक दिन उसने मुझसे जंगल से भागने को कहा। वो भी मेरे साथ भागने को तैयार था और खास बात ये थी कि उसे रास्ता भी मालूम था। बस फिर हम दोनों जंगल से भाग निकले। और 31 जुलाई 2004 को हमने कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया।"

जिसके बाद उसे नारी निकेतन लखनऊ भेज दिया गया. 13 साल बाद जनवरी 2017 को वो जेल से रिहा हुई. बाहर निकलते ही नीलम ने ऐलान किया था कि वो राजनीति में आना चाहती है. और आज भी वह राजनीति में अपना हाथ आजमा रही है। आप दस्यु सुंदरी नीलम गुप्ता के बारे में क्या सोंचते हैं हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।

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