बगैहा नरसंहार कांड़ की पूरी कहानी, कैसे ठोकिया ने मचाई थी तबाही

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        चित्रकूट के बगैहा नरसंहार कांड़ की पूरी कहानी

म्वार नाव ठोकिया है, मोहि गांव के आदमिन से कुछु मतलब निहां आय, मोहि ओमनाथ और व ससुरे के परिवार वालेन का मारैं खै। जौनै भी घर से बाहर निकली त समझ लिन्हा कि व परलोक जई। हरामजादा ने मोरी बहिनी के इज्जत लुटैं वालेन का साथ दिहिस है, देख ले रे ओमनाथ डॉक्टर डकैत बन गा है। यह एक-एक शब्द 17 जुलाई 2003 के सुबह 7 बजे चित्रकूट के बगैहा गांव में गूंज रहे थे। बस यही सब कुछ बोलते ही डाकू अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया ने चित्रकूट के बगैहा गांव में मौत का ऐसा खेल खेला कि जिसे वहां के लोग ताउम्र नहीं भूलेंगे। आश्चर्य की बात ये है कि इस घटना के बाद भी ठोकिया का सबसे बड़ा दुश्मन यानि ओमनाथ पटेल बच निकलने में कामयाब हो गया। और ठोकिया की ओमनाथ को मारने की कसम अधूरी रह गई। 

बगैहा नरसंहार कांड चित्रकूट

          बगैहा नरसंहार कांड़ का पूरा सच

नमस्ते मेरा नाम अंकित त्रिपाठी है. आज हम आपको बगैहा नरसंहार कांड की पूरी कहानी बताएंगे. आपको बताएंगे कि कैसे एक किसान का बेटा अपनी बहन की इज्जत के खातिर बुंदेलखंड का सबसे शातिर डकैत बन गया। आपको ये भी बताएंगे कि कैसे उसने बगैहा नरसंहार कांड को अंजाम दिया और उस घटना से कैसे ठोकिया का सबसे बड़ा दुश्मन जिंदा बच गया। 

कौन था ठोकिया उर्फ अंबिका पटेल 

पहले मैं आपको ठोकिया के बारे में कुछ बता रहा हूं। यूपी का एक चित्रकूट जिला है इसी जिले में साल 1972 में अंबिका पटेल का जन्म हुआ था। किसान के परिवार में जैसे सभी बच्चों का बचपन बीतता है ठीक वैसे ही अंबिका का भी बचपन बीता। शुरुआती पढ़ाई उसने अपने गांव में की। पढ़ाई में वह काफी तेज था। फिर धीरे धीरे बुरी संगत में पडने के कारण वह गांव में ही छोटे-छोटे अपराध करने लगा। उसने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की थी। वह डॉक्टर बनना चाहता था। तभी एक घटना उसके पूरे जीवन को मोड़ कर रख देती है।

ठोकिया पटेल 

बहन के साथ हुआ था अत्याचार

गांव के लोग बताते हैं कि उसकी बहन के साथ गांव के ही एक व्यक्ति ने बलात्कार किया था।  फिर उस लड़के ने पंचायत में शादी करने से मना कर दिया। कुछ दिनों बाद ही घात लगाकर ठोकिया ने उस लड़के की हत्या कर दी और डकैत बन गया। इस हत्या के बाद ठोकिया ददुआ के गैंग में शामिल हुआ। उस लड़के की हत्या के बाद भी ठोकिया उसके परिवार वालों को मारना चाहता था। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ठोकिया ने जिस लड़के की हत्या की थी वह दूसरे डाकू ओमनाथ पटेल के परिवार से था। 

ठोकिया के एफटीएफ हत्याकांड


पंचायत में ओमनाथ पटेल ने किया था ठोकिया का विरोध

जब वह पंचायत बुलाई गई थी तो उस पंचायत में ओमनाथ भी मौजूद था। और ओमनाथ ने ठोकिया  विरोध किया था। डाकू बनने के बाद ठोकिया दिन रात उसके परिजनों को मारने की तलाश में रहता था। फिर एक दिन ठोकिया और ओमनाथ आमने सामने आ गए और ओमनाथ ने ठोकिया को धमकी दी कि अगर दम है तो मुझसे टकराओ मेरे घर वालों से नहीं बस यहीं से दो परिवारों की लड़ाई अब दो व्यक्तियों तक सिमट गई। धीरे धीरे अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया का सिक्का जरायम की दुनिया में जमता गया। अब ठोकिया के कानों में ओमनाथ की धमकी नासूर की तरह काम कर रही थी। 

डकैत ठोकिया पटेल की पूरी कहानी

ठोकिया ने बोला ओमनाथ पटेल के घर पर हमला

फिर 16 जुलाई 2003 को ठोकिया को जानकारी मिली की ओमनाथ पटेल आज की रात अपने घर में रुका हुआ है। ये जानकारी मिलते ही ठोकिया अपने गिरोह के साथ रात में ही उसके गांव के लिए निकल गया। रात के दौरान 50 से 60 डाकुओं का गैंग तेजी के साथ ओमनाथ के गांव की तरफ बढ़ता जा रहा था। सभी डाकुओं की चाल भले ही अलग अलग रही हो लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही था वो लक्ष्य था ओमनाथ और उसके परिवार वालों को किसी भी हालत में जिंदा नहीं छोड़ना। डाकुओं के पहुंचते पहुंचते रात के 4 चार बज चुके थे यानि तारीख बदल चुकी थी। अब तारीख थी 17 जुलाई 2003 गांव पहुंचते ही डाकुओं ने ओमनाथ के परिजनों के बारे में पता किया, पता करने पर पता चला कि सभी लोग घर में चैन की नींद सो रहे हैं. 

ठोकिया ने बंद किए घर के दरवाजे

तभी ठोकिया के सदस्यों ने घर को चारो तरफ से घेर लिया। इसके बाद ठोकिया ने खुद अपने हांथों से बाहर की तरफ से सभी दरवाजे बंद कर दिए। अब तक घर वालों को पता चल चुका था कि ठोकिया और उसके लगभग 60 सदस्यों ने घर को घेर लिया है। घर के अंदर का माहौल बिल्कुल दयनीय था छोटे छोटे बच्चे थे। जो घर वालों की सड़बडाहट को देखकर रोने लगे थे। फिर ठोकिया ने ऐलान की म्वार नाव ठोकिया है, मोहि गांव के आदमिन से कुछु मतलब निहां आय, मोहि ओमनाथ और व ससुरे के परिवार वालेन का मारैं खै। जौनै भी घर से बाहर निकली त समझ लिन्हा कि व परलोक जई। हरामजादा ने मोरी बहिनी के इज्जत लुटैं वालेन का साथ दिहिस है, देख ले रे ओमनाथ डॉक्टर डकैत बन गा है। इसके बाद ठोकिया ने जो डाकुओं को आदेश दिया वह बेहद खौफनाक था। 

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डकैतों ने घर में लगा दी आग

ठोकिया ने इशारों में कहा कि घर में डीजल छिड़ककर आग लगा दीजिए। आदेश सुनते ही डाकुओं ने घर में आग दी। आग लगते ही सभी डाकू जोर जोर से हंसने लगे। घर के अंदर की हालत तो पूछिए ही मत वहां की हालत बेहद डरावनी बेहद चिंतनीय बेहद दयनीय थी सभी अपनी अपनी जान बचाने की कोशिश में लगे हुए थे। लेकिन कमबख्त ये आग उनका कहां पीछा छोड़ने वाली थी। छोटे छोटे बच्चे अपनी मां के गोद में छिपने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मां करे तो करे भी क्या। अंदर से बाहर निकलने की कई लोगों ने कोशिश की लेकिन बाहर खड़े डाकुओं ने सभी को गोली दी सभी लोग अंदर तड़प तड़प कर मर रहे थे। अब तक कई लोग आग की लपट और धुएं की घुटन की वजह से दम तोड़ तोड़ चुके थे। देखते ही देखते छह जिंदगी आग में जल गई थी। 

पीएसी के जवान देखते रहे तबाही

हैरानी कि बात ये है कि ठोकिया और ओमनाथ की दुश्मनी को देखते हुए बगैहा गांव में पीएसी बल तैनात किया गया था। लेकिन पीएसी मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रही। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इतने बड़े नरसंहार के बाद भी ठोकिया का प्रतिशोध पूरा नहीं हुआ था और उसका जानी दुश्मन ओमनाथ पटेल बच गया था लेकिन डकैत की प्रतिशोध की आग में मासूम सहित आधा दर्जन जिंदगी आग में जल गई थी। 

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कैसे बचा था ठोकिया पटेल का दुश्मन ओमनाथ पटेल

ओमनाथ के बचने के पीछे की वजह ये है कि डकैतों ने जिस घर को घेरा था उस घर में ओमनाथ नहीं रुका था वह दूसरे घर में ठहरा हुआ था। जैसे ही उसे भनक लगी कि ठोकिया उसे मारने आया है वह वहां से भाग गया। गांव वाले बताते हैं कि ओमनाथ के पास इतना भी टाइम नहीं था कि वह अपने घर वालों को इस बात की सूचना दे दे। ठोकिया ने जिस समय यह नरसंहार किया था, उस समय ओमनाथ का भतीजा राजू पटेल अपने घर के बाहर चारपाई पर लेटा हुआ था, वह इकलौता व्यक्ति है, जो इस नरसंहार गवाह है। 

9 आरोपियों को सुनाई गई फांसी की सजा

राजू ने बताया कि वह 2003  की सुबह हुए इस कत्लेआम को पूरी जिंदगी भूल नहीं सकता। ठोकिया पटेल ओमनाथ चाचा के पूरे परिवार को खत्म करने के उदेश्य से आया था। लगभग दो घंटे तक उसने गांव में तांडव किया था, गनीमत थी कि उस समय कुछ दूरी पर ही पीएसी बल मौजूद था। पीएसी के आ जाने से ठोकिया गैंग समेत भाग गया, नहीं तो गांव के कई लोग उसकी गोली के शिकार बन जाते। इस नरसंहार के मुख्य गवाह राजू ने ठोकिया गैंग के साथ नामजद 9 आरोपियों की फांसी की सजा के बाद यह बात फोन के जरिए एक चैनल को बताई थी।

ठोकिया ने फिर किया ओमनाथ पर हमला

ये बात तो साफ है अगर ठोकिया की बहन की इज्जत न लूटी गई होती तो वह डकैत नहीं एक मशहूर डॉक्टर होता। ठोकिया केवल और केवल अपनी बहन के साथ हुई घटना का बदला लेने के लिए ही जरायम की दुनिया में कूदा था। इसके पहले भी वह झोलाछाप डॉक्टर था। और डॉक्टर नाम से उसे इलाके के लोग आज भी जानते हैं। इस नरसंहार में ओमनाथ के बचने के बाद ठोकिया ने एक बार फिर ओमनाथ पर निशाना साधा। हुआ यूं कि चित्रकूट के कर्वी में पेशी से लौटते समय पुरानी बाजार में ओमनाथ पर बम फेंका गया। पर कहते हैं न कि जाको राखे साइयां मार सके कोय हुआ भी ठीक ऐसे ही ठोकिया के इस हमले में भी ओमनाथ पूरी तरह बच गया। 

ठोकिया ने की ओमनाथ के बेटे की हत्या

फिर कुछ महीनों बाद ही ठोकिया ने ओमनाथ पटेल के बेटे की हत्या कर दी थी। दस्यु ठोकिया ने अपने आपराधिक जीवन में अपने करीब 15-16 लोगों को गोली मारकर मौत के घाट उतार होगा पर वह ओमनाथ को नहीं मार सका। पीड़ित राजू पटेल ने बताया कि आग से बड़े भाई प्रकाश की पत्नी चुन्नी व प्रकाश का तीन वर्षीय बेटा छोटा भइया जिंदा जल गए थे। इसके अलावा राजू के बड़े भाई राम कृपाल की पांच वर्षीय नातिन गीता पुत्री अशोक जिंदा जल गई थी। बड़का कोल, कुटुबादा गर्ग, राजू के चचेरे भाई राम किशोर को भी डकैतों ने गोली मार दी थी। वहीं आठ लोग गंभीर रुप से जल गए थे। जो काम डकैत ददुआ ने अपने 30 साल के जरायम काल में नहीं किए थे। वह ठोकिया ने सिर्फ 8 साल के अपराधिक जीवन में कर डाले थे। 

एक एनकाउंटर में मारा गया ठोकिया पटेल

ददुआ ने कभी पुलिस से सीधा मोर्चा नहीं लिया था, लेकिन ठोकिया ने प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स के 7 जवानों को दिन दहाडे़ मार दिया था। इसी लिए बुंदेलखंड के बीहड़ों में पुलिस के लिए सर्वाधिक खूंखार डकैत ठोकिया था। ठोकिया को 33 साल की उम्र में चार अगस्त 2008 को एसटीएफ ने एक इनकाउंटर में मार गिराया था। 

ठोकिया का भाई दीपक पटेल बना डकैत

ठोकिया मरते मर गया लेकिन ओमनाथ पटेल को नहीं मार पाया है भले ही उसने ओमनाथ के परिवार के 6 या 7 सदस्यों की हत्या की हो लेकिन ओमनाथ को नहीं छू पाया है। ठोकिया के मरने के बाद ठोकिया के भाई दीपक पटेल ने ओमनाथ और ज्ञान सिंह को मारने की कसम खाई थी और डाकू भी बन गया था लेकिन कुछ महीनों बाद ही वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया था। और ठोकिया का जानी दुश्मन ओमनाथ पटेल आज भी जिंदा है और अपने गांव में रहता है खैर आप डाकू ठोकिया पटेल और ओमनाथ पटेल के बारे में क्या सोंचते हैं हमें कमेंट में जरूर बताइएगा।

विशेष सूचना- ये रिपोर्ट हमने ग्रामीणों के कथन अनुसार व इंटरनेट में मिली जानकारी के हिसाब से बनाई है हम इसमें किसी भी सूचना को सही या गलत नहीं मानते हैं.

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